भारतवन अधिनायक: संतोष झा
संतोष झा बिहार के युवा रंगकर्मी, संगीतकार, नाटककार और संस्कृतिकर्मी हैं. फिलहाल एक राजनितिक नाटक ‘भारतवन अधिनायक’ के रिहर्सल में व्यस्त हैं. हिंदी की कुछ कविताओं को स्वर और संगीत देने के कारण खासे चर्चित रहे हैं. उनके द्वारा लिखित नाटक ‘भारतवन अधिनायक’ से कुछ गीत हम यहाँ साझा कर रहे हैं. नाटक के पीडीऍफ़ संस्करण के लिए यहाँ चटका लगा सकते हैं.भारतवन अधिनायक -संतोष झा और उनसे संपर्क की इच्छा हो तो hirawal@gmail.com पर लिख भी सकते हैं.
By संतोष झा
1.
वन-वन-वन अधिनायक जय हे
भारतवन अधिनायक
गेंडे विशाल, लोमड़-सियार
औ’ स्वान तुम्हारे सेवक
प्रति वृक्ष-वृक्ष वानर-समूह
तुम ही उन सबके नायक
भेड़-बकरियां-गायें
श्रद्धानत हो आएं
सम्मुख नवाएं माथा
2.
डेवलपमेंट का नया आइडिया !
क’मॉन गाइज़ लेट्स मेक इट सक्सेसफुल
वन टू थ्री फोर हैव ग्लास फुल-फुल
दुनिया जाए भाड़ में, यू बी जस्ट कूल!
वन टू थ्री फोर हैव ग्लास फुल-फुल
हैव ग्लास फुल-फुल, हैव ग्लास फुल-फुल
हैव ग्लास फुल-फुल, हैव ग्लास फुल-फुल
चलो पीछे-पीछे-पीछे-पीछे-पीछे-पीछे देखें
चलो आगे-आगे-आगे-आगे-आगे-आगे बढ़ें
चलो शेयर करें व्हाट्स अप पे
चलो शेयर करें फेसबुक पे
दुनिया जाए भाड़ में, यू बी जस्ट कूल!
क’मॉन गाइज़ लेट्स मेक इट सक्सेसफुल
वन टू थ्री पफोर हैव ग्लास फुल-फुल
हैव ग्लास फुल-फुल, हैव ग्लास फुल-फुल
हैव ग्लास फुल-फुल, हैव ग्लास फुल-फुल
3.
घर तो निकला हवा-हवाई, रोज़ी का क्या होगा राजा?
घर तो निकला हवा-हवाई, रोटी का क्या होगा राजा?
घर तो निकला हवा-हवाई, ऊपर से बढ़ती महंगाई
ऊपर से बढ़ती महंगाई, बच्चों का क्या होगा राजा
घर तो निकला हवा-हवाई, रोज़ी का क्या होगा राजा?
घर तो निकला हवा-हवाई, रोटी का क्या होगा राजा?
4.
भारतवन का नया राज है, नया काज है, नया साज है
कौन बताए किसके सर पे, इस शासन का रखा ताज है
कल तक दिल्ली में दिखता था, नागपूर में दिखे आज है
ऐ भारतवन के बाशिंदो! बैल, गधे, आज़ाद परिंदो
आंख मूंदकर जीनेवालो, आसमान में उड़नेवालो
लक्कड़बग्घे घूम रहे हैं, गिद्ध डाल पर झूम रहे हैं
खों-खों, भौं-भौं, हुआं-हुआं में, दाना-पानी कहीं नहीं है
क्या होगा बछड़ों-चूज़ों का, इसकी चिंता कहीं नहीं है
कोई कहता एक रंग का बैल रहेगा भारतवन में
कोइ कहता एक रंग की चिडि़या होगी इस उपवन में
आखें खोलो, उठो एक संग, भारतवन के ऐ बाशिंदो !
नागपूर-दिल्ली से कह दो – हमें हमारा वतन चाहिए
नए राज के लंगूरों से कह दो – हमको अमन चाहिए
अमन चाहिए!
अमन चाहिए!!
अमन चाहिए!!!